इस नियम का प्रतिपादन गेलुसैक (Gay Lussac) ने १९०८ में किया था। इस नियम के अनुसार गैसों का परस्पर संयोग उनके आयतन के सरल अनुपात में होता है, तथा प्रतिफल गैस का आयतन भी साधारण ताप एवं दाब पर प्रतिकारो गैसों के आयतन के एक सरल अनुपात में होता है।
उदाहरण : (१) H2(g) + Cl2 –––– 2 HCL (g)
१ आयतन + १ आयतन —– २ आयतन
अतः इन गैसों का अनुपात आयतनों के = H2 : Cl2 : HCL = 1 : 1 : 2
उदाहरण : (२) 2H2(g) + O2 (g) —– 2H2O (g)
२ आयतन + १ आयतन —– २ आयतन
अतः प्रतिकारी एवं सृस्ट गैसों के आयतनों का अनुपात = 2H2 : O2 : 2H2O = 2 : 1 : 2 जो एक सरल अनुपात है।
अतः दोनों उदाहरण से उक्त नियम की पुष्टि होती है।
Thanks
Bahut aacha very good perfect