यह तो आपको पता ही होगा कि भारतीय रुपया $1 के मुकाबले 80 से ज्यादा हो चुका है। यानी ₹80 का $1 आजकल चल रहा है और ऐसा पहली बार हुआ है आप रुपए के गिरने का अर्थशास्त्र भी सुन और पढ़ रहे होंगे। लेकिन रुपए का गिरना अर्थशास्त्रियों का नहीं बल्कि आम आदमी का विषय भी है।
रूपये में मंदी का ब्लैक और वाइट विश्लेषण :
असल में जब रुपए के गिरने की बात आती है तो या तो इस पर सिर्फ राजनीति होती है नेता इसे सरकार के खिलाफ इस्तेमाल करते हैं और या फिर इसे अर्थशास्त्रियों का विषय मान लिया जाता है। आम आदमियों को इसके बारे में कुछ जानकारी ही नहीं है। इसलिए आज हम आपको बहुत आसान सरल भाषा में रुपये के गिरने का मतलब समझायेंगे और तीन पायंट्स में ब्लैक एंड वाइट में आपके सामने स्पस्ट हो जायेगा।
पहली बात तो ये है की दुनिया भर के अर्थ व्यवस्थाओं को यूक्रैन की वजह से सबसे बड़ा झटका लगा है और ये पूरी दुनिया में हो रहा है। लेकिन आपके लिए समझने की ख़ास बात ये है की किसी युद्ध से दुनिया के लगभग सभी देशों के करेंसी कमजोर हुई है। लेकिन सिर्फ दो देश ऐसे हैं जिनकी करेंसी इस युद्ध के बाद से मजबूत हो रही है। हम आपको बता दे की ये दोनों देश वो हैं जो उक्रैन युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं। इनमे से एक रूस की करेंसी रूबल है, जो जनवरी 2022 के बाद से 34% मजबूत हुई है।आपको याद होगा जब यह युद्ध शुरू हुआ था तो लोग कह रहे थे कि रूस का जो रूबल है वह कमजोर हो जाएगा लेकिन रूस को फायदा हुआ और उसका जो रूबल है वह 34% तक बढ़ा है मजबूत हुआ है और जो दूसरी करेंसी जो लगातार मजबूत हो रही है वह है अमेरिकी डॉलर यानी यूएस डॉलर जो लगातार मजबूत हो रहा है और यही कहा जाता है की अमेरिका और रसिया यूक्रेन युद्ध के आर्किटेक्ट भी हैं और सबसे बड़े लाभार्थी भी है।
वहीं जबकि बाकी के ज्यादातर देशों की करेंसी कमजोर हो रही है। जिसमें भारत का रुपया भी है लेकिन हमारे देश में रुपए के गिरते स्तर को एक राजनीतिक मुद्दा बना दिया जाता है और इसके लिए सिर्फ सरकार को जिम्मेदार बताया जा जाता है आपको जानकर हैरानी होगी कि युद्ध के बाद से रुपया गिरा तो है लेकिन गिरने वाला वो अकेला नहीं है। कई देश ऐसे हैं जिनकी कर्रेंसियां रुपया से भी ज्यादा तेजी से गिर रही है। एक डाटा आपको बताते हैं की जनबरी 2022 के बाद से भारतीय रुपया करीब 7 प्रतिसत गिरा है। यह सही है की गिरा है जबकि ब्रिटिश पाउंड करीब 13% गिरा है यूरो 11% से ज्यादा गिरा है जैपनीजयन में 7 महीने के अंदर ही 19 परसेंट की कमी आ गई है। जापान की जो करेंसी है यह वह तो 19 परसेंट टूटी है जबकि चीन से लेकर साउथ अफ्रीका तक की करेंसी में भी पांच से 6% तक की गिरावट आई है। तो आप सोच लीजिए चीन की करेंसी गिर रही है जापान की करेंसी गिर रही है ब्रिटेन की गिर रही है यूरोप की गिर रही है बस दो करेंसी है जो नहीं गिर रही है, रसिआ और अमेरिका और यह कहा जाता है की दोनों ही इस युद्ध के लिए मुख्यत: जिम्मेदार हैं। इसलिए कई बार कहते हैं की युद्ध जो है वो एक उद्योग है और जो बड़ी – बड़ी महाशक्तियां हैं इन्हे युद्ध का नुकसान कम होता है और फायदा ज्यादा होता है।
अब हम ये समझते हैं की रुपया गिर क्यों रहा है ?
बता दें की दरसल संयुक्त राज्य अमेरिका अपने यहाँ बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए बहुत तेजी से ब्याज दरों को बढ़ा रहा है। अमेरिका में वहां इस साल ब्याज की दरें अभी तक एक फीसदी तक बढ़ चुकी है। इसका फायदा US Dollor को मिल रहा है। और रूपये के साथ – साथ दुनिया भर में करेंसी कमजोर हो रही है। रूपये की गिरावट का एक बड़ा कारन उक्रैन युद्ध है। युद्ध के वजह से तेल, गेहूं, खाद्य जैसे उत्पादों के दाम बढ़ गए हैं क्योंकि रूस और यूक्रेन से इनकी आपूर्ति अब युद्ध की वजह से कम हो गई है और जब आपूर्ति कम होती है सप्लाई कम होती है तो डिमांड बढ़ जाती है और जब डिमांड बढ़ती है तो उसका मूल्य भी बढ़ता है।
डॉलर की कीमत कैसे बढ़ती है ?
एक और वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ना है भारत अपनी जरूरत का अस्सी परसेंट (80%) तेल आयात करता है, यानि की दूसरे देशों से खरीदता है। आयात के लिए जो भुगतान हम करते हैं वह यूएस डॉलर (US-Dollor) में करते हैं जिससे देश के अंदर डॉलर की कमी हो जाती है और कमी हो भी रही है और जिससे डॉलर की कीमत ऊपर चली जाती है। तो आप ये भी समझ गए की डॉलर की कीमत क्यों बढ़ती है और कैसे बढ़ता है?
चौथी वजह है कि कई विदेशी निवेशकों ने भारत में अपने निवेश को कम कर दिया है एक अनुमान के मुताबिक पिछले 6 महीनों में विदेशी पोर्टफोलियो वाले निवेशकों ने भारत के बाजारों से करीब 2320 अरब रुपए निकाली है।
रुपया को गिरने से हमारे जीवन पर इसका क्या असर पड़ेगा ?
अगर रुपया गिर रहा है तो उसकी कई वजह है लेकिन इसका आपकी जेब पर क्या असर हो सकता है आपको बताते हैं क्योंकि रुपया गिर रहा है और ज्यादातर लोग समझते हैं कि यह तो अर्थशास्त्रियों का सिर दर्द है यह सरकार का सिरदर्द है हमें क्या लेना देना। लेकिन आपके जीवन पर इसका क्या असर पड़ेगा वो आप जान लीजिये। रूपये के गिरने के बाद अब विदेशों से किसी भी चीजों या वस्तुओं का आयत करना महंगा हो जायेगा। क्योकि उसकी पेमेंट हमें डॉलर्स में करनी होती है तो जो भी सामान हम बहार से दूसरे देशों से खरीद रहें हैं वो सारे सामानों के जो पेमेंट है ज्यादातर हम डॉलर में करते हैं। और वो सब महंगा हो जायेगा। रुपए की कमजोरी का असर विदेशों से आयात किए जा रहे तेल और ऊर्जा के उत्पादों पर पड़ेगा पेट्रोल-डीजल महंगा हो जाएगा और आप जानते हैं जैसे ही हमारे देश में पेट्रोल और डीजल महंगा होता है तो हर चीज महंगी हो जाती है क्योंकि जो ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट है किसी भी चीज की वह बढ़ जाती है चाहे वह सब्जियां हो या दूसरी चीजें हों। रुपए का मूल्य घटने पर आप जो विदेश यात्रा करते हैं वह महंगी हो जाएगी और विदेशों में पढ़ाई करना जो हमारे छात्र विदेशों में पढ़ने के लिए जाते हैं अब उन्हें भी ज्यादा पैसा देना पड़ेगा। लेकिन जिस तरह हर सिक्के के दो पहलु होते हैं उसी तरह रूपये के गिरने के अगर कुछ नुकसान है तो कुछ फायदे भी है। कमजोर रूपये से भारत के निर्यात क्षमता बढ़ेगी निर्यातक जिस प्रोडक्ट पर ₹74 का मूल्य पहले पा रहे थे उसके लिए अब उन्हें ₹80 का मूल्य देखने को मिलेगा।
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