What is Sub shell in Hindi ? उपकक्षा क्या होता है।
Shell कक्षा छोटे – छोटे ऊर्जा स्तरों में बटे रहते हैं, जिसे Sub shell या उपकक्षा कहा जाता है।इसे, S, P, D, F से सूचित करते हैं। S – Sharp P – Principle D – Diffuse F – Fundamental
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Shell कक्षा छोटे – छोटे ऊर्जा स्तरों में बटे रहते हैं, जिसे Sub shell या उपकक्षा कहा जाता है।इसे, S, P, D, F से सूचित करते हैं। S – Sharp P – Principle D – Diffuse F – Fundamental
शेल परमाणु में इलेक्ट्रान के ऊर्जा स्तर को सूचित करता है।ऑर्बिट परमाणु में इलेक्ट्रान की पथ की ऊर्जा को सूचित करता है। अतः लगभग दोनों समान है। Shell : K L M N Orbit : 1 2 3 4
नाभिक के चारो ओर के सकेंद्रीय वृत्ताकार पथों को शेल कहा जाता है। इसे ऊर्जा स्तर भी कहा जाता है।इसे, K, L, M, N ….. द्वारा सूचित किया जाता है।
डेल्टन का परमाणुवाद सिद्धांत निम्नलिखित है :(१) तत्वीय पदार्थ छोटे – छोटे कणों से बना हुआ है , जिसे परमाणु कहा जाता है।(२) परमाणु अविभाज्य होता है।(३) सामान तत्व के परमाणु सामान गुण एवं समान भार वाले होते हैं।(४) असमान तत्व के परमाणु असमान गुण एवं असमान भार वाले होते हैं।(५) तत्वों का संयोजन भार दरअसल में परमाणुओं के संयोजन भार को दर्शाता …
परमाणु संरचना : भौतिक रसायन की वह शाखा है जो परमाणु के बनावट गुणों इत्यादि के अध्ययन की व्याख्या करता है, परमाणु संरचना कहलाता है।कनाद : भारतयीय दार्शनिक द्रव अस्तत्व है , जो छोटे – छोटे कणों से बना है।इसके व्यक्तत्व को लुक्रेटियस और डेमोक्रिटस ने समर्थन किया है।
इस नियम का प्रतिपादन गेलुसैक (Gay Lussac) ने १९०८ में किया था। इस नियम के अनुसार गैसों का परस्पर संयोग उनके आयतन के सरल अनुपात में होता है, तथा प्रतिफल गैस का आयतन भी साधारण ताप एवं दाब पर प्रतिकारो गैसों के आयतन के एक सरल अनुपात में होता है। उदाहरण : (१) H2(g) + …
इस नियम का प्रतिपादन डाल्टन ने किया। इस नियम के अनुसार ” जब दो विभिन्न तत्व संयोग कर दो या दो से अधिक का निर्माण करते हैं। तो एक तत्व का भिन्न – भिन्न भार जो दूसरे तत्व के एक निश्चित भार से संयोग करते हैं। “उदाहरण : नाइट्रोजन और ऑक्सीजन आपस में संयोग कर निम्नलिखित ऑक्साइड का निर्माण करते हैं। N2O …
इस नियम का प्रतिपादन प्राउस्ट ने किया। इस नियम के अनुसार ” किसी रासायनिक यौगिक में अवयवी तत्वों के भारों का सदैव एक निश्चित अनुपात रहता है। “ H2O में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के भारों का अनुपात = २ : १६ = १ : ८ किसी भी स्त्रोत से प्राप्त जल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के भारों का अनुपात सदैव १ : …
द्रव्य संरक्षण का नियम : ( द्रव्य की स्थिरता का नियम ) Law of Conservation Matter इस नियम का प्रतिपादन लेवोजियर ने किया। इस नियम के अनुसार ” किसी रासायनिक प्रतिक्रिया में प्रतिकारकों का कुल भार प्रतिफलों के कुल भार के बराबर होता है। जैसे, (अ) C + O2 – CO2 …
सिद्धांत :इस विधि से ऐसे तत्व का समतुल्य भार ज्ञात किया जाता है , जो तनु अम्ल तनु भस्म या जल से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस देते हैं।जैसे, Zn, Mg इत्यादि।इस विधि में सर्वप्रथम तत्व के निश्चित भार से उत्पन्न H2 गैस के आयतन को समान्य ताप एवं दाब पर परिणत कर उसका भार ज्ञात कर लिया जाता है।इसके बाद निम्नलिखित सूत्र की सहायता …
सिद्धांत : तत्व के एक निश्चित भार को क्लोरीन में परिणत कर उसका भार ज्ञात कर लिया जाता है।क्लोराइड के भार से तत्व का भार घटाने पर संयुक्त क्लोराइड का भार ज्ञात होता है।इसके बाद गणना द्वारा तत्व का समतुल्य भार ज्ञात कर लिया जाता है।गणना : माना कि तत्व का भार = W1 Gm.तथा तत्व के क्लोराइड का भार = W2 Gm.इसीलिए, …
मिक्चर लिक विधि कुछ इस प्रकार से है ,यह विधि मिशरलिक के समरूपता नियम पर आधारित है, इस नियम के अनुसार समान रासायनिक रचना वाले यौगिक के रवे समरूपी होते हैं।जैसे, उदाहरण : H2So4. 7 H2o —- हरा कसीस ZnSo4 . 7 H2o —- उजला कसीस दोनों ही समरूपी यौगिक है।
कैनिजारो विधि निम्लिखित हैं।(1) जिस तत्व का परमाणु भार ज्ञात करना होता है उसके विभिन्न उड़नशील यौगिक का निर्माण किया जाता है।(2) प्रत्येक उड़नशील यौगिक का वाष्प घनत्व ज्ञात कर निम्नलिखित सूत्र की साहयता से अणुभार ज्ञात किया जाता है। अणुभार = 2x वाष्प घनत्व = 2 x VD (3) प्रत्येक यौगिक के अणुभार में विश्लेषण के आधार पर तत्व का भार …
इस विधि में दो ऊष्मायें होती हैं। (1) नियत दाब पर विशिष्ट ऊष्मा (सीपी CP) (2) नियत आयतन पर विशिष्ट ऊष्मा (सीभी CV)सीपी CP और सीभी CV के अनुपात से गैस की परमाण्विकता निर्धारित की जाती है।यदि सीपी CP / सीभी CV = 1.66 , तो गैस एक परमाण्विक होती है।यदि सीपी CP / सीभी CV = 1.44 , तो गैस दुइपरमाण्विक होती है। सर्प्रथम सीपी CP और सीभी CV के …
इस विधि से ऐसे तत्व का परमाणु भार ज्ञात किया जाता है, जो उड़नशील क्लोराइड या ब्रोमाइड का निर्माण करते हैं।सर्वप्रथम तत्व का समतुल्य भार ज्ञात किया जाता है। तत्व को क्लोराइड का निर्माण कर निम्नलिखित सूत्र की सहायता से उसका अणुभार ज्ञात किया जाता है।अतः अणुभार = 2 x वाष्प घनत्व।