समावयवता क्या है एवं ये कितने प्रकार के होते हैं ?
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र सामान होते हैं परन्तु संरचना सूत्र भिन्न – भिन्न होते हैं, समावयवी तथा इस घटना को समावयवता कहा जाता है।
समावयवता के प्रकार :
(1) संरचनात्मक समावयवता – Structural Isomerism
वह समावयवता जो यौगिकों के संरचना के भिन्नता के कारन प्रदर्शित होती है, संरचनात्मक समावयवता कहलाता है।
संरचनात्मक समावयवता के प्रकार – Types of Structural Isomerism
(a) श्रृंखला समावयवता :-
वे यौगिक जिनके अणु सूत्र समान परन्तु संरचना सूत्र में कार्बन परमाणु की श्रृंखला में भिन्नता पायी जाती है। श्रृंखला समावयवी कहलातें है। तथा इस घटना को श्रृंखला समावयवता कहा जाता है। जैसे,
(b) क्रियात्मक समावयता – Functional Isomerism
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र समान परन्तु संरचना सूत्र में क्रियात्मक समूह में भिन्नता पायी जाती है, क्रियात्मक समावयवी कहलाते हैं तथा इस घटना को क्रियात्मक समावयवता कहा जाता है। जैसे,
C2H6O
(c) स्थान समावयवता – Positional Isomerism
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र समान परन्तु संरचना सूत्र में क्रियात्मक समूह के स्थान में भिन्नता होती है, स्थान समावयवी कहलाते हैं। तथा इस घटना को स्थान समावयवता कहा जाता है। जैसे,
C4H10O
C4H8
(d) मितावयवता – Metamerism
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र समान परन्तु संरचना सूत्र में क्रियात्मक समूह से जुड़े alkyle groups में भिन्नता होती है मितावयवता Metamers कहलाते हैं। तथा इस घटना को Metamerism कहा जाता है।
C4H10O
(e) चलावयवता – Tautomerism
चलावयवता क्रियात्मक समूह का एक विशेष रूप है। जिसमे यौगिक अणुसूत्र समान होते हैं। परन्तु संरचना में क्रियात्मक समूह हमेशा एक दूसरे में बदलते रहते हैं तथा गतियात्मक साम्य अवस्था में रहते हैं, चलावयवी कहलाते हैं। तथा इस घटना को चलावयवता कहा जाता है। जैसे,
(2) त्रिविमीय समावयवता – Stereo Isomerism
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र एवं संरचना सूत्र समान होते हैं परन्तु उसमे उपस्थिति परमाणुओं एवं समूहों के स्पेशल अरेंजमेंट में भिन्नता होती है, त्रिविमीय समावयवी – Stereo Isomers कहलाते हैं। तथा इस घटना को त्रिविमीय समावयवता – Stereo Isomerism कहा जाता है।
त्रिविमीय समावयवता के प्रकार – Types of Stereo Isomerism
(a) ज्यामितीय समावयवता (Geometrical Isomerism)
यौगिक जिनके अणुसूत्र समान परन्तु संरचना सूत्र में कार्बन परमाणु के बिच डबल बॉण्ड उपस्थित रहने से प्रतिबंधित चक्रण के कारन कार्बन परमाणु से जुड़े परमाणु या परमाणुओं के समूह के विन्यास में भिन्नता होती है, त्रिविमीय समवयवी कहलाते हैं, तथा इस घटना को त्रिविमीय समावयवता कहा जाता है। इसे Cis – Trans Isomerism भी कहा जाता है।
(b) प्रकाशकीय समावयवता – Optical Isomerism
वे यौगिक जिनके अणुसूत्र एवं संरचना सूत्र समान होती है, समतल ध्रुवित प्रकाश के रिलेशन में भिन्नता दर्शाती है ऑप्टिकल Isomers कहलाते हैं तथा इस घटना को ऑप्टिकल Isomerism कहा जाता है।
प्रकाश की समावयवी होने के लिए यौगिक में एसिमेट्रिक कार्बन एटम की उपस्थिति अनिवार्य है।
d – Lactic Acid : d = Dextro (Right) Rotatory
लैक्टिक एसिड का वह रूप जो समतल ध्रुवित प्रकाश को दाएँ तरफ घुमाता है, डी-हेक्टिक एसिड कहलाता है।
L – Lactic Acid : L = Leavo (Left) Rotatory
लैक्टिक एसिड का वह रूप जो समतल ध्रुवित प्रकाश को बाएँ तरफ घुमाता है L-Lactic Acid कहलाता है।
DL – Lactic Acid :
यह d – Lactic Acid एवं L – Lactic Acid का समन्विक मिश्रण होता है, जिसे रैसेमिक मिक्सचर भी कहा है। यह ऑप्टिकली इनएक्टिव होता है। इसे d – Lactic Acid एवं L – Lactic Acid में resolve किया जा सकता है।
Tartaric Acid :
d – Tartaric Acid :
समतल ध्रुवित प्रकाश को दाएँ तरफ घुमाता है।
L – Tartaric Acid :
समतल ध्रुवित प्रकाश को बाएँ तरफ घुमाता है।
Meso – Tartaric Acid :
यह टार्टरिक एसिड का ऑप्टिकली है। d – Tartaric Acid एवं L – Tartaric Acid में resolve नहीं किया जा सकता है।
dl – Tartaric Acid :
d – Tartaric Acid एवं L – Tartaric Acid का समन्विक मिश्रण होता है जो ऑप्टिकली इनएक्टिव होता है। इसे d – tartaric acid एवं L – Tartaric Acid में resolve किया जा सकता है।
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