चीन के वुहान शहर से जो पूरी दुनिया में कोरोना वायरस फैला वो अब तक काबू में नहीं आया पाया है। हालाँकि दुनिया भर के वैज्ञानिक बहुत सारे इस वायरस को काबू में लाने के लिए वैक्सीन बनाने की तयारी में जुड़े हुए हैं। लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक खोज इस वायरस के ऊपर नहीं हो पाया है। दुनिया अभी कोरोना महमारि से झेल ही रही है, और ऐसे में एक न्यूज़ से पता चला है की फिर चीन से एक दूसरा वायरस फ़ैल सकता है।
चीन के इनर मंगोलिआ छेत्रकेबायानुर शहर में ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague का नया मामला देखने को मिला है। खबरो के मुताबिक ये मरीज एक चरबाहा है और उसे क्वारंटीन Quarantine में रखा गया है। मरिज की हालत स्थिर बताई गयी है। अभी तक ये पता नहीं चला है की मरीज को ये इन्फेक्शन कैसे हुई है।
चीन की अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक एक और सख्स १५ साल का सस्पेक्टेड केस है। अधिकारियों ने लेबल थ्री की वॉर्निंग जारी की है। हालाँकि काम खतरनाक है वॉर्निंग सिस्टम का। तीन नम्बरों के तहत इन जानवरों को शिकार करना और खाना प्रतिबंधित होता है। जिनसे ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague फैलने का खतरा होता है। इसके आलावा लोगो को संदिग्ध मामलों के बारे में सुचना देने को भी कहा जाता है।
आइये हम जानते हैं क्या है ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague और क्यों चीन केस्थानीय कार्यकर्ताओं को चिंता के खतरे में डाल दिया है। ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague एक बैक्टेरिआ के इन्फेक्शन से होता है, आपको बता दे की ये वायरस नहीं है, यह एक इन्फेक्शन है जो बैक्टीरिआ से होता है। लेकिन ये खतरनाक हो सकता है , आमतौर पर इनका इलाज ऐंटिबायोटिक दवाइयों से संभव है। ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague के मामलेकई बार दुनिया में सामने आ चुके हैं। साल 2017 में मैडागैस्कर में इस ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague के 300 मामले सामने आये थे।
२०१९ में मैंगोलिआ में मारमोट Marmot नाम के जानवरों को खाने से दो लोगो को ये ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague हो गया और उनकी मौत हो गयी थी। मारमोट ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague के बैक्टेरिया के कैरियर होते हैं। मंगोलीआ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अधिकारी ने किसी को बताया था की वहाँ की मारमोट का कच्चा मीट और किडनी सेहत के लिए लाभ दायक है। हालाँकि इनका शिकार करना गैर क़ानूनी है। ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague लिम्फ नोड्स Lymph Nodes में सूजन पैदा करता है। शुरुआत में इस बीमारी की पहचानमुश्किल होती है, क्योकि इसके लक्षण तीन से सात दिन बाद दिखती है दुसरे फ्लू के तरह ही होते हैं।
ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague को ब्लैक डेथ Black Death भी क्यों कहते हैं ?
चौदहवीं सताब्दी में ब्लैक डेथ Black Death के कारन एशिया, अफ्रीका और यूरोप में करीब पाँच करोड़ लोग मर गए थे। हालांकि ये महामारी का रूप लेगा इसका आसार बहुत काम है। लेकिन आज की कोरोना की तरह ही उस वक्त ब्लैक डेथ Black Death का इन्फेक्शन फैला जा रहा था और किसी को समझ में नहीं आ रहा था।हुआ यूँ था की चौदहवीं सताब्दी में इंग्लैण्ड में लोगो में रहस्यमयी लक्षण दिखने को मिल रहे थे। शुरुआत में हलके लक्षण थे जैसे की, सरीर में दर्द, जुखाम, हल्का बुखार आदि। लेकिन कुछ दिन बाद में शरीर पर काले रंग के दर्दनाक गांठे परने लगे जिसके कारण इस बिमारी का नाम ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague या ब्लैक डेथ Black Death परा था। मरीजों आखरी वक्त में तेज बुखार और उनकी मौत हो जाती थी। उस वक्त इतनी मेडिकल नॉलेज नहीं थी डॉक्टरों को जिससे की इस बिमारी को समझ पाते और कोई इलाज ढूंढते। इसीलिए जब ये महामारी फैला था तो डॉक्टरों ने कुछ नही कर पाया था।
ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague या ब्लैक डेथ Black Death बिमारी मध्य एशिया से सुरु होकर सैनिको के जरिये ब्लैक सी के बन्दरगाहों में पहुँचा और वहाँ से जहाजों के जरिये इटली और फिर धीरे धीरे पुरे यूरोप में फ़ैल गया। ब्लैक डेथ Black Death से तक़रीबन यूरोप में एक तिहाई लोगो की मौत हो गई थी। इतने लोगो की मौत से अर्थ व्यवस्था पर भी काफी परा था। इतने लोगो के मरने के कारन लोगो की फसलें नहीं कटी गाँव के गाँव ख़त्म हो गए थे। आपको बता दें की जिन लोगो की ये बीमारी हुई थी उनमे से 80 फीसदी लोगो की मौत हो गयी थी। उस वक्त ऐतिहासिक घटना दर्ज करने वाले स्कॉटिश व्यक्ति जॉन ने लिखा था बीमारी ने हर जगह अपने चपेट में लिया। खासकर मिडिल और लोअर लोगों पर सबसे ज्यादा असर पारा था। इसने ऐसा डर लोगो में पैदा किया की बच्चे अपने मरते माता पिता के पास भी मिलने के लिए नहीं जा सकते और माँ बाप बच्चों के पास। बिलकुल इसी तरह आज कोरोना कोविद -19 को भी लिखा जा सकता है। हालाँकि कोरोना महामारी में लोगों की मौत की संख्या ब्लैक डेथ Black Death से कम है। लेकिन अगर अर्थ व्यवस्था की बात करें तो कोरोना महामारी में ब्लैक डेथ Black Death सेज्यादा ख़राब हो सकती है। क्योकि उस वक्त के मुकाबले ये एक ग्लोब्लाइज़्ड वर्ल्ड है और एक दूसरे पर निर्भर इकोनॉमी। आखरी बार उन्नीसवीं शताब्दी में चीन में ब्यूबोनिक प्लेगBubonic Plague ब्लैक डेथ Black Death से चीन और भारत में एक करोड़ बीस लाख लोगों की मौत हो गयी थी।