PARASHRAVYA DHWANI KYA HOTA HAI YA PARASHRAVYA TARANG KYA HOTA HAI ?
श्रव्य ध्वनि तथा पराश्रव्य ध्वनी को मनुष्य की श्रमण छमता दृष्टि से ही ध्वनि को दो श्रेणी में बाटा गया है।
ये दोनों प्रकार के ध्वनि पदार्थ के कम्पन्न से उत्पन्न होती है। कीसी माध्यम से दोनों प्रकार के ध्वनियों का वेग सामान होता है। इस प्रकार पराश्रव्य ध्वनी वे ध्वनि तरंगे है जिनकी आवृति सुनने की ऊपरी सीमा से अधिक परन्तु 500 मेगा कम्पन्न प्रति सेकंड से कम होता है।
पराश्रव्य ध्वनी या तरंग कैसे उत्पन्न किये जाते हैं? PARASHRAVYA DHWANI YA PARASHRAVYA TARANG KAISE UTTPANN KIYE JAATE HAIN ?
पराश्रव्य ध्वनी या तरंगों का उत्पादन साधारण लाउड स्पीकर से नहीं हो सकता, क्योकि साधारण लाउड का यन्त्र इतनी अधिक आवृति से कम्पन्न नहीं सकता।
अतः पराश्रव्य ध्वनी या तरंगों को उत्पन्न करने की निम्न विधि है।
पिआज़ो विद्युतीय उत्पादन सिद्धांत – PIAJO VIDUTIYA UTPADAN SIDDHANT :
यह पिआज़ो विद्युतीय प्रभाव घटना पर आधारित है। जे क्यूरी और पी क्यूरी ने यह अविष्कार किया की कुछ क्रिस्टल ऐसे होते हैं, जिनपर यदि दाब डाला जाये तो उनके मुक्त पृष्ठों पर विद्युत आवेश उत्पन्न होते हैं।
इसके विपरीत यदि उन तलों पर विद्युतीय विभव आरोपित किया जाए तो क्रिस्टल का विस्तार बदल जाता है। ऐसे क्रिस्टलों में मुख्यतः क्वार्टज, तुरमलिन और रोशेल लवण है।