What is the Drift Velocity in Hindi ?
जब किसी चालक तार को किसी सेल दोनों प्लेट से जोर दिया जाता है तो चालक तार के सिरों के बीच विद्युत् विद्युत् क्षेत्र की दिशा हमेशा + धन सिरा से – ऋण सिरा की ओर होती है। जब इलेक्ट्रॉन सेल से निकलकर चालक तार के एक सिरा पहुँचता है तब इलेक्ट्रान पर विद्युतीय कार्य करने लगता है।
जिसकी दिशा विद्युतीय क्षेत्र की दिशा की विपरीत होती है। परिणाम स्वरुप इलेक्ट्रॉन का वेग बढ़ने लगता है। जब इलेक्ट्रॉन आगे बढ़ता है तो चालक तार के अणुओं द्वारा टक्कर होती है , सभी टक्कर में इलेक्ट्रॉन का वेग और दिशा बदल जाता है, और टेढ़े – मेढ़े रास्ते से होते हुए चालक तार के दूसरे किनारे पर पहुँच जाता है।
अतः चालक तार के अंदर सभी दो लगातार टक्करों में इलेक्ट्रॉन का औसत वेग अनुगमन वेग कहलाता है।
माना की,
L = चालक के तार की लम्बाई
A = चालक तार का अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल
E = चालक तार के सिरों के बिच विद्युतीय क्षेत्र की तीब्रता
e = 1.6×10-19C = Electron पर का आवेश
m = 9.1×10-31 Kg. इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान
t = इलेक्ट्रॉन के चालक तार को एक सिरा से दूसरे सिरा तक ले जाने में लगा समय
अतः
Vd = L / T या विस्थापन / समय
अनुगमन वेग की गणना कैसे करते हैं ?
अपवाह वेग वह औसत वेग है जिसके साथ इलेक्ट्रॉन क्षेत्र की विपरीत दिशा में बहाव करते हैं। हम इलेक्ट्रॉनों के त्वरण से शुरु करते हैं, a = F/m = eE/m| इस त्वरण के कारण प्राप्त औसत वेग, अर्थात अपवाह वेग -ateEt/ml.
मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग क्या होता है ?
इसे औसत येग के रुप में परिभाषित किया जाता है जिसके साथ एक याहरी विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में मुक्त इलेक्ट्रॉनों को एक कंडक्टर (विद्युत क्षेत्र के विपरीत) के सकारात्मक छोर की ओर ले जाया जाता है।